प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना के तहत पात्र छोटे और सीमांत किसानों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये तीन किस्तों में प्रदान किए जाते हैं। हाल ही में सरकार एक ऐसी सुविधा लेकर आई है, जिसके तहत लाभार्थी चाहें, तो इस योजना के तहत मिलने वाले लाभ को सरेंडर कर सकते हैं.
ऐसा करके वे अन्य पात्र लोगों को इस योजना का लाभ देने में भूमिका निभा सकते हैं। स्वैच्छिक समर्पण (Voluntary Surrender) की प्रक्रिया किसानों को योजना से बाहर होने और प्राप्त राशि (यदि कोई हो) वापस करने की अनुमति देती है। यह लेख पीएम किसान लाभ के स्वैच्छिक समर्पण की प्रक्रिया को विस्तार से बताएगा।
स्वैच्छिक समर्पण क्या है?
स्वैच्छिक समर्पण वह प्रक्रिया है जिसमें कोई किसान स्वेच्छा से पीएम किसान योजना के लाभ को छोड़ देता है। इसके बाद वह भविष्य में योजना का लाभ नहीं ले सकता और दोबारा पंजीकरण की अनुमति नहीं होती। यह प्रक्रिया उन किसानों के लिए है जो अपात्र हैं या अब इस वित्तीय सहायता की आवश्यकता नहीं महसूस करते।
नोट: स्वैच्छिक समर्पण और ऑनलाइन रिफंड अलग प्रक्रियाएं हैं। रिफंड में केवल गलत तरीके से प्राप्त राशि वापस की जाती है, जबकि समर्पण में आप पूरी तरह से योजना से बाहर हो जाते हैं।
स्वैच्छिक समर्पण की प्रक्रिया
स्वैच्छिक समर्पण की नीचे चरण-दर-चरण प्रक्रिया दी गई है:
- सबसे पहले आप PM किसान की आधिकारिक वेबसाइट - https://pmkisan.gov.in/ पर विजिट करें।
- इसके बाद होमपेज पर आप Farmer Corner सेक्शन में मौजूद Voluntary Surrender of PM Kisan Benefits के विकल्प पर क्लिक कर दें।

- अब आपके सामने एक नया पेज खुलेगा, यहां आप रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज करके GET OTP विकल्प पर क्लिक कर दें।
- अब आप अपने मोबाइल नंबर पर आए हुए OTP को दर्ज करें।
- स्क्रीन पर आपका पंजीकरण विवरण और प्राप्त किस्तों की जानकारी दिखाई देगी। समर्पण के लिए "Surrender" बटन पर क्लिक करें।
- आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर एक OTP प्राप्त होगा। OTP दर्ज करें और सत्यापन पूरा करें।
नोट: समर्पण के बाद आप भविष्य में योजना में दोबारा पंजीकरण नहीं कर सकते।
स्वैच्छिक समर्पण की आवश्यकता क्यों?
किसान निम्नलिखित कारणों से स्वैच्छिक समर्पण चुन सकते हैं:
- अपात्रता: आयकर दाता, सरकारी कर्मचारी, या 1 फरवरी 2019 के बाद भूमि स्वामित्व प्राप्त करने वाले किसान अपात्र होते हैं।
- आर्थिक स्थिति में सुधार: यदि किसान की आर्थिक स्थिति बेहतर हो गई है और उसे सहायता की जरूरत नहीं है।
- नैतिक कारण: कुछ किसान यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लाभ केवल जरूरतमंद किसानों तक पहुंचे।
- कानूनी कार्रवाई से बचाव: यदि अपात्र होने के बावजूद लाभ लिया गया, तो ब्याज सहित वसूली और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए।